कटक, जून 09, 2018: शउड़ीसा में प्रधान मंत्री ऊर्जा गंगा के विस्तार की ओर एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए माननीय केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस तथा कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कटक के सीडीए-1 तथा बिद्याधरपुर में आज संपीडित प्राकृतिक गैस (सीएनजी) स्टेशनों का उद्घाटन किया ।
गेल भुबनेश्वर और कटक सहित विभिन्न शहरों में प्रधान मंत्री ऊर्जा गंगा की प्रतिष्ठित परियोजना तथा शहर गैस वितरण (सीजीडी) परियोजनाओं का कार्यान्वयन कर रही है ।
शमाननीय मंत्री ने सीएनजी जागरुकता ऑटो रैली का भी शुभारंभ किया तथा सीडीए सेक्टर-1 सीएनजी स्टेशन से बिद्याधरपुर सीएनजी स्टेशन तक ऑटो में यात्रा की । इस रैली में सौ से अधिक ऑटो ने भाग लिया और इन दो सीएनजी स्टेशन के बीच 15 कि.मी. की दूरी तय की ।
पहले दिसंबर 2017 में, भुबनेश्वर में चंद्रशेखरपुर और पटिया में दो सीएनजी स्टेशनों का प्रचालन शुरु हुआ । खंडागिरि और तमनदो में दो और सीएनजी स्टेशनों का निर्माण किया जा रहा है तथा निकट भविष्य में अन्य दो तैयार हो जाएंगे । आने वाले वर्षों में, भुबनेश्वर और कटक दोनों शहरों में वाहनों में सीएनजी आपूर्ति के लिए 20 से ज्यादा सीएनजी स्टेशन कमिशन कर दिए जाएंगे ।
वर्तमान में, प्राकृतिक गैस की आपूर्ति “कैस्केड” नामक स्पेशल कंटेनरों में आंध्र प्रदेश के काकीनाडा से सड़क परिवहन के माध्यम से की जा रही है । एल-सीएनजी (लिक्विफाइड सीएनजी) के लिए भी प्रावधान किया जा रहा है जिसमें दाहेज, गुजरात से भुबनेश्वर/कटक तक प्राकृतिक गैस को क्रायोजेनिक टैंकर्स में तरल रूप में पहुँचाया जाएगा । भुबनेश्वर में इस सुविधा हेतु आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माणाधीन है ।
लगभग 2655 किलोमीटर लंबी जगदीशपुर-हल्दिया एवं बोकारो-धामरा प्राकृतिक गैस पाइपलाइन (जेएचबीडीपीएल), जिसे 'प्रधान मंत्री ऊर्जा गंगा' परियोजना के रूप में भी जाना जाता है, की कमिशनिंग के बाद, प्राकृतिक गैस की आपूर्ति पाइपलाइन के माध्यम से की जाएगी । भारत की प्रमुख प्राकृतिक गैस कंपनी गेल, माननीय प्रधान मंत्री द्वारा जुलाई 2015 में प्रारंभ की गई इस प्रतिष्ठित परियोजना को कार्यान्वित कर रही है । यह परियोजना पूर्ण वेग से प्रगतिशील है तथा गेल ने अब तक इस परियोजना में रु.7500 करोड़ से अधिक की प्रतिबद्धता की है जो कि उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा राज्यों से गुजरेगी । यह परियोजना उर्वरक एवं ऊर्जा संयंत्र, रिफाइनरीज, इस्पात संयंत्रों और अन्य उद्योगों को पर्यावरण की दृष्टि से स्वच्छ प्राकृतिक गैस की आपूर्ति करके पूर्वी भारत में औद्योगिक विकास का लाभ पहुँचाएगी ।
सीएनजी परियोजना
पारंपरिक ईंधन की तुलना में सीएनजी पर्यावरण के अनुकूल ईंधनों में से एक है क्योंकि इसमें सल्फर या लेड जैसी कोई अशुद्धता नहीं है । सीएनजी वायु की तुलना में हल्का होने के कारण सुरक्षित है और रिसाव के मामले में यह हवा में ऊपर उठता है । इसके अलावा, लगभग 585 डिग्री सेल्सियस के उच्च इग्निशन तापमान के कारण इससे आग लगने की संभावना नहीं है । परंपरागत ईंधन की तुलना में भी यह किफायती है । सीएनजी एक किफायती, पर्यावरण अनुकूल, सुविधाजनक और सुरक्षित ईंधन है तथा हर उपयोगकर्ता के लिए हैप्पी फ्यूअल है ।
परिवहन आयुक्त, उड़ीसा द्वारा वाहनों में सीएनजी किट की रेट्रोफिटिंग के लिए पांच किट निर्माताओं को अनुमोदित किया गया है । किट निर्माताओं ने भी भुबनेश्वर और कटक में अपने डीलरों को नियुक्त किया है । ऑटो रिक्शा मालिकों और चालकों के लिए जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया है तथा वाहनों के सुचारू पारगमन हेतु भविष्य में भी इस प्रकार की पहलें जारी रहेंगी ।
सीएनजी आपूर्ति की शुरुआत प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के गैस आधारित अर्थव्यवस्था के विकास तथा पूर्वी भारत को देश की प्राकृतिक गैस ग्रिड से जोड़ने के सपने को पूरा करने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है ।
भुबनेश्वर एवं कटक सीजीडी परियोजनाओं के लिए कुल पूंजीगत व्यय रु.1,750 करोड़ रहेगा जिसमें से रु.450 करोड़ अगले तीन से पांच वर्षों में व्यय किए जाएंगे ।
उड़ीसा में प्रधान मंत्री ऊर्जा गंगा
उड़ीसा में प्राकृतिक गैस पाइपलाइन का निर्माण रु.4,000 करोड़ के अनुमानित निवेश से किया जाएगा तथा इसकी लंबाई लगभग 769 कि.मी. की होगी जिसमें 13 जिले, अर्थात् भद्रक, जाजपुर, ढेंकनाल, अंगुल, सुंदरगढ़, संबलपुर, झारसुगुड़ा, देबगढ़, जगतसिंहपुर, कटक, खुरदा, पुरी तथा केंद्रपाड़ा शामिल होंगे और यह खुरदा, झारसुगुड़ा, राउरकेला, संबलपुर, भुबनेश्वर, कटक, अंगुल, ढेंकनाल, कलिंगनगर, जाजपुर तथा पारादीप के प्रमुख औद्योगिक समूहों को जोड़ेगी ।
उड़ीसा में प्रधान मंत्री ऊर्जा गंगा
गेल ट्रेडिंग, ट्रांसमिशन, एलपीजी उत्पादन एवं ट्रांसमिशन, एलएनजी पुनः गैसीफिकेशन, पेट्रोकेमिकल्स, शहर गैस, ई एंड पी आदि में प्राकृतिक गैस मूल्य श्रृंखला के विविधतापूर्ण हितों के साथ भारत की अग्रणी प्राकृतिक गैस कंपनी है । गेल वर्ष 2020 तक लगभग रु.20000 के निवेश से अपने पाइपलाइन नेटवर्क में 4000 कि.मी. का विस्तार करके लगभग 15,000 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन का प्रचालन करेगी। गेल का गैस ट्रांसमिशन में 75% मार्केट शेयर है और भारत की गैस ट्रेडिंग में 50% से अधिक का हिस्सा है ।