अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, गेल (इंडिया) लिमिटेड
श्री संदीप कुमार गुप्ता , एक वाणिज्य स्नातक और द इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के अध्येता (फेलो) तथा इंस्टीट्यूट ऑफ डायरेक्टर्स के प्रतिष्ठित अध्येता (फेलो) भी हैं । श्री गुप्ता के पास तेल एवं गैस उद्योग में 36 वर्षों से अधिक का व्यापक अनुभव है ।
गेल में कार्यभार ग्रहण करने से पूर्व श्री गुप्ता, फॉर्च्यून "ग्लोबल 500" में अग्रणी पीएसयू एकीकृत ऊर्जा कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड और विभिन्न समूह कंपनियों के निदेशक मंडल में अगस्त 2019 से निदेशक (वित्त) के पद पर कार्यरत थे । वे कई समूह कंपनियों के बोर्ड में निदेशक भी थे । निदेशक (वित्त) के रूप में, वे वित्त एवं लेखा, कोषागार, मूल्य निर्धारण, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, अनुकूलन, सूचना प्रणाली, कॉर्पोरेट मामले, विधिक, उद्यम जोखिम प्रबंधन आदि के प्रभारी थे ।
श्री गुप्ता को कई व्यक्तिगत सम्मान प्राप्त हुए हैं जैसे जनवरी 2021 में महामारी के दौरान वित्तीय एवं जोखिम प्रबंधन के लिए आईसीएआई द्वारा मई 2022 में स्टार्टअपलेन्स डॉट कॉम द्वारा “सीए सीएफओ– वृहद कॉर्पोरेट– विनिर्माण एवं बुनियादी ढांचा श्रेणी”, के अन्तर्गत भारत के शीर्ष 30 सीएफओ के रूप में चुना गया; अप्रैल 2023 में इंडिया टुडे ग्रुप द्वारा “सर्वश्रेष्ठ सीईओ – तेल एवं गैस क्षेत्र” तथा फरवरी 24 में वर्ल्ड एचआरडी कांग्रेस द्वारा “सीईओ विथ एचआर ओरिएंटेशन” सम्मान प्राप्त हुए हैं ।
श्री गुप्ता महानगर गैस लिमिटेड, ब्रह्मपुत्र क्रैकर एंड पॉलीमर लिमिटेड एवं गेल गैस लिमिटेड जैसी कई अन्य कंपनियों के अध्यक्ष भी हैं तथा पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड के बोर्ड में निदेशक है । श्री गुप्ता भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के शीर्ष निकाय एससीओपीई के अध्यक्ष भी हैं और भारत के प्रमुख अनुसंधान एवं विकास संगठन सीएसाईआर के शासी निकाय के सदस्य हैं । वे यूएस-इंडिया सीईओ फोरम; ओआईडीबी बोर्ड; ओआईएसडी सुरक्षा परिषद; शासी परिषद, एफआईपीआई; शासी परिषद, सीएचटी; शासी निकाय, पीपीएसी; आईआईपीई, विशाखापत्तनम की सामान्य परिषद तथा आरजीआईपीटी, अमेठी की सामान्य परिषद के सदस्य भी हैं ।
निदेशक (वित्त)
निदेशक (परियोजना)
निदेशक (मानव संसाधन)
निदेशक (विपणन)
निदेशक (व्यापार विकास)
सरकार द्वारा नामित निदेशक
सरकार द्वारा नामित निदेशक
मुख्य सतर्कता अधिकारी
कंपनी सचिव और अनुपालन अधिकारी
मुख्य सतर्कता अधिकारी
श्री रजनेश सिंह, भारतीय रेलवे यांत्रिक इंजीनियर्स सेवा (आईआरएसएमई) के 2003 बैच के एक कुशल अधिकारी हैं, जिनके पास पेट्रोलियम, रेलवे और ऑटोमोटिव उद्योग के तीन प्रमुख क्षेत्रों में नीति-निर्माण, शासन, प्रापण, रणनीतिक गठबंधन और औद्योगिक विकास में 25 वर्ष का वृहद अनुभव है ।
मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआईटी), प्रयागराज (1999) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक के पश्चात, श्री सिंह ने आईएसबी मोहाली/हैदराबाद (2023-24) से एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम इन पब्लिक पॉलिसी (एएमपीपीपी) के माध्यम से अपनी विशेषज्ञता को और सुदृढ़ किया । दिसंबर 2024 में एसएई इंटरनेशनल द्वारा प्रकाशित “घरेलू रूप से उत्पादित बायोएथेनॉल भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता और सड़क परिवहन क्षेत्र के डी-कार्बोनाइजेशन की खोज में योगदान” पत्रिका में उनका एक शोध पत्र प्रकाशित किया गया है ।
उनके वैश्विक अनुभव में जापान में हाई-स्पीड रेल प्रशिक्षण, हनोवर में 14वें आईएए-इंडिया डे में भारत का प्रतिनिधित्व, डार्मस्टाट, जर्मनी में फ्रॉनहोफर इंस्टीट्यूट का दौरा और मैक्सिको में ऑटोमोटिव उद्योग अध्ययन दौरा शामिल है ।
16 वर्ष से अधिक के फील्ड यूनिट अनुभव के साथ, श्री सिंह ने दक्षिण पूर्व रेलवे के प्रमुख डिवीजनों (चक्रधरपुर , रांची और खड़गपुर) में कार्य किया है, जहाँ उन्होंने ट्रेन संचालन, सुरक्षा, आपदा प्रबंधन, रोलिंग स्टॉक रखरखाव और औद्योगिक संबंधों में विशेषज्ञता प्राप्त की । बनारस लोकोमोटिव वर्क्स (बीएलडब्ल्यू), वाराणसी में उन्होंने चार वर्ष तक लोकोमोटिव डिज़ाइन, विक्रेता विकास, प्रापण और रू. 4,000 से 5,000 करोड़ प्रति वर्ष की आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में उत्कृष्टता प्राप्त की ।
रेलवे बोर्ड, रेल मंत्रालय में निदेशक (सीएंडआईएस) के रूप में, उन्होंने ई-ऑफिस कार्यान्वयन पर टास्क फोर्स की अध्यक्षता की, जिससे ई-गवर्नेंस के माध्यम से संगठनात्मक कार्य संस्कृति में परिवर्तनकारी बदलाव आया । उन्होंने परिचालन दक्षता और साइबर सुरक्षा ढांचे को बढ़ाकर सूचना सुरक्षा, कम्प्यूटरीकरण और आईसीटी सिस्टम के लिए नीति निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।
श्री सिंह ने चार वर्ष तक भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) में निदेशक (ऑटो) के रूप में कार्य किया, जहाँ उन्होंने भारत की ऑटोमोटिव नीतियों, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सतत विकास पहलों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । उन्होंने दो प्रमुख उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं - पीएलआई ऑटो और पीएलआई एसीसी योजनाओं को तैयार करने और लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अन्य प्रमुख उद्योग-परिवर्तन परियोजनाओं के अलावा भुगतान सुरक्षा तंत्र (पीएसएम) के माध्यम से राष्ट्रीय ई-बस कार्यक्रम (एनईबीपी) में योगदान दिया ।
श्री सिंह ने चार वर्ष तक एमएचआई के अंतर्गत स्वायत्त निकाय, राष्ट्रीय ऑटोमोटिव बोर्ड (एनएबी) के निदेशक (वित्त, प्रशासन और विधि) के उत्तरदायित्व का निर्वहन किया तथा इसके रणनीतिक विकास में योगदान दिया । वे एनएबी के सदस्य सचिव, एआरएआई, पुणे तथा ऑटोमोटिव स्किल डेवलपमेंट काउंसिल (एएसडीसी) के गवर्निंग काउंसिल सदस्य रहे हैं ।
निदेशक (वित्त)
श्री राकेश कुमार जैन पेशे से एक कॉस्ट एंड मैनेजमेंट एकाउन्टेंट हैं तथा श्री जैन ने वर्ष 1992 में गेल में एक प्रबंधन प्रशिक्षु के रूप में कार्यभार ग्रहण किया और वे कंपनी की विकास यात्रा का अभिन्न हिस्सा रहे हैं।
निदेशक (वित्त) के रूप में अपनी नियुक्ति से पूर्व श्री जैन गेल में कार्यकारी निदेशक (वित्त एवं लेखा) के पद पर कार्यरत थे। इसके अतिरिक्त श्री जैन इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड, गेल गैस लिमिटेड, गेल ग्लोबल (यूएसए) इंक. तथा गेल ग्लोबल (यूएसए) एलएनजी एलएलसी में निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। इससे पूर्व वे रत्नागिरी गैस एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड (आरजीपीपीएल) के निदेशक मंडल में शामिल थे। कार्यकारी निदेशक (वित्त एवं लेखा) के रूप में उन्होंने घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से बड़े पैमाने पर धन जुटाने में निगमित वित्त और ट्रेजरी अनुभाग का नेतृत्व किया तथा बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में निवेश के निर्णय लिए। वे निवेशक संबंधों और विश्लेषक समूह के साथ परस्पर विचार-विमर्श में भी सक्रिय रूप से शामिल रहे।
श्री जैन ने विदेशी मुद्रा जोखिम प्रबंधन, पूंजी बजट, कॉर्पोरेट बजट, कॉर्पोरेट लेखा, दीर्घकालिक अंतर्राष्ट्रीय एलएनजी और गैस करारों को अंतिम रूप देने, मूल्य निर्धारण, द्रवीकरण और पुनर्गैसीकरण टर्मिनल सेवा करारों, विलय और अधिग्रहण, कराधान, विनियामक पहलू आदि सहित कॉर्पोरेट वित्त और ट्रेजरी के क्षेत्रों में कार्य किया है।
गेल में दीर्घकालीन सेवा के अलावा वे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस विनियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) में संयुक्त निदेशक (वाणिज्यिक और वित्त) के रूप में प्रतिनियुक्ति पर रहे। पीएनजीआरबी में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने प्रशुल्क विनियमों की समीक्षा, एकीकृत प्रशुल्क की अवधारणा, सीजीडी की 9वीं और 10वीं बोली चक्र के प्राधिकरण तथा वित्त कार्य आदि सक्रिय रूप से संपन्न किए। उन्होंने गेल का सबसे बड़ा पेट्रोकेमिकल संयंत्र पाता सहित गेल के लगभग सभी व्यावसायिक कार्यक्षेत्रों में भी कार्य किया है।
निदेशक (परियोजना)
श्री दीपक गुप्ता एक मैकेनिकल इंजीनियर, डीसीई के पूर्व छात्र हैं, जिनके पास परियोजना प्रबंधन, निर्माण प्रबंधन और व्यापार विकास कार्यों को शामिल करते हुए तेल और गैस क्षेत्र में 31 वर्षों से अधिक का समृद्ध और विविध अनुभव है। वह पीएमआई, यूएसए द्वारा प्रमाणित परियोजना प्रबंधन पेशेवर (पीएमपी) हैं।
उनके पास रिफाइनरी, पेट्रोकेमिकल और पाइपलाइन परियोजनाओं के परियोजना प्रबंधन में अवधारणा से लेकर कमीशनिंग तक का व्यापक और गहन अनुभव है तथा उन्होंने भारत में सभी प्रकार के परियोजना कार्यान्वयन जैसे ईपीसी (एलएसटीके), ईपीसीएम, ओबीई और पीएमसी की कई सफल परियोजनाओं के निष्पादन का नेतृत्व किया है। उन्होंने अत्यधिक जटिल और चुनौतीपूर्ण तेल और गैस परियोजनाओं को लागू करने के लिए भौगोलिक क्षेत्रों में मल्टी-डिसिप्लिनरी और क्रॉस-फ़ंक्शनल टीमों के साथ सफलतापूर्वक सहयोग किया है।
ईआईएल में, वह नाइजीरिया में मल्टी- बिलियन डॉलर 650 केबीपीएसडी डांगोटे रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल परियोजना, जो दुनिया की सबसे बड़ी सिंगल ट्रेन ग्रासरूट रिफाइनरी और कार्यान्वयन के तहत अफ्रीकी महाद्वीप में सबसे बड़ा रिफाइनरी कॉम्प्लेक्स भी है, के कार्यान्वयन का नेतृत्व करने में अग्रणी रहे हैं । इस विशाल परियोजना के अलावा उन्होंने भटिंडा में एचएमईएल के लिए सबसे बड़ी पॉलीमर सुविधाओं में से एक तथा मंगोलिया में आगामी पहली रिफाइनरी परियोजना के कार्यान्वयन का भी नेतृत्व किया है। उपर्युक्त के अतिरिक्त उन्होंने टीम ईआईएल के अंग के रूप में महत्वपूर्ण योगदान दिया है जिसे गेल के लिए पाता में पेट्रोकेमिकल विस्तार परियोजना और मैंगलोर में एमआरपीएल चरण III विस्तार परियोजना की पीएफसीसी इकाई के सफल कार्यान्वयन का श्रेय दिया जाता है।
परियोजना निष्पादन सर्वोत्तम पद्धतियों पर सीएचटी समिति के संयोजक के रूप में उन्होंने परियोजना निष्पादन में सुधार के प्रमुख क्षेत्रों की पहचान करने में सार्थक योगदान दिया है।
श्री गुप्ता ने फास्ट ट्रैक परियोजना निष्पादन के लिए अपने अनुभव, फीडबैक और विचारों को साझा करते हुए कई शोध पत्र और पुस्तकें लिखी हैं। उनके द्वारा प्रस्तावित कई प्रमुख नवोन्मेष और पहल अब संगठन के भीतर सर्वोत्तम निष्पादन पद्धतियों का हिस्सा हैं। उनकी विशेष रूचियों में परियोजना निष्पादन नवोन्मेष, पेट्रोकेमिकल्स, रणनीति निर्माण, व्यापार विकास पहल, सिस्टम सुधार और फास्ट ट्रैक परियोजना निष्पादन के लिए - डिजिटलीकरण शामिल हैं।
श्री गुप्ता ने भारत और विदेशों में प्रमुख मंचों पर मेगा परियोजना कार्यान्वयन और डिजिटलीकरण के लिए रणनीतियों पर प्रस्तुतियाँ दी हैं और अपने विचारों तथा अवधारणाओं के लिए व्यापक प्रशंसा प्राप्त की है।
निदेशक (मानव संसाधन)
श्री आयुष गुप्ता आईआईटी रुड़की से 1992 बैच के इलेक्ट्रिकल इंजीनियर और प्रचालन प्रबंधन में एमबीए हैं। उनके पास प्रशिक्षण और मानव संसाधन विकास, प्रतिभा अधिग्रहण, नेतृत्व विकास, कार्यनिष्पादन प्रबंधन, मानव संसाधन विकास पहल, परियोजना प्रबंधन और प्रचालन एवं अनुरक्षण के क्षेत्र में 30 से अधिक वर्षों का विविध और समृद्ध अनुभव है। वे वर्तमान में गेल गैस लिमिटेड के निदेशक मंडल में भी हैं, जो गेल की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है।
श्री गुप्ता 2013 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से प्रतिष्ठित शेवनिंग रोल्स रॉयस साइंस, इनोवेशन, पॉलिसी एंड लीडरशिप फेलोशिप प्राप्तकर्ता, 2004 में नेशनल करप्शन अवेयरनेस अवार्ड और 2011 में इमर्जिंग एचआरडी थिंकर्स अवार्ड के विजेता हैं। वे स्प्रिन्गर इंटरनेशनल द्वारा प्रकाशित 'नेचुरल गैस मार्केट्स इन इंडिया' पुस्तक के सह-संपादक हैं और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रकाशित और प्रस्तुत किए गए शोध पत्रों हेतु उन्हें कई सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र अवार्डों का श्रेय प्राप्त है।
उन्होंने विभिन्न मानव संसाधन विकास प्रणाली, प्रक्रिया और प्रथाओं में सुधार का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया है, जिसमें बेहतर जुड़ाव और कार्मिक अनुभव को बढ़ाने के लिए डिजिटल पहल शामिल है। उन्होंने संगठन के लिए एक सुदृढ़ भावी मानव संसाधन निर्मित करने के लिए प्रतिभा अधिग्रहण रणनीति तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। श्री गुप्ता ताज ट्रैपेज़ियम ज़ोन में शहर गैस वितरण नेटवर्क के कार्यान्वयन में शामिल थे और उन्होंने गेल में अपने प्रारंभिक कैरियर के दौरान इस क्षेत्र में स्टॉक हानि को कम करने के लिए कई पहलों का नेतृत्व किया।
निदेशक (विपणन)
श्री संजय कुमार आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट हैं और उनके पास मॉस्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (एमबीए) की डिग्री भी है। उन्होंने वर्ष 1988 में गेल में कार्यभार ग्रहण किया और अगले साढ़े तीन दशकों में गैस मार्केटिंग, एलएनजी सोर्सिंग/ट्रेडिंग/शिपिंग, व्यापार विकास, गैस ट्रांसमिशन, परियोजना प्रबंधन और गैस पाइपलाइन प्रचालन एवं अनुरक्षण सहित विभिन्न क्षेत्रों में कार्यभार संभाला । इस क्रॉस-फंक्शनल और विविध अनुभव ने उन्हें प्राकृतिक गैस और एलएनजी मूल्य श्रृंखला के सभी क्षेत्रों में वृहद जानकारी प्राप्त करने में सक्षम बनाया है।
श्री संजय कुमार ने गेल की विदेश स्थित एलएनजी ट्रेडिंग सहायक कंपनी गेल ग्लोबल (सिंगापुर) पीटीई. को एक स्टैंडअलोन कंपनी के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो वर्तमान में वैश्विक एलएनजी बाजार में एक बेहतर कंपनी है।
श्री संजय कुमार गेल ग्लोबल (सिंगापुर) पीटीई. लिमिटेड, गेल ग्लोबल (यूएसए) एलएनजी एलएलसी, गेल ग्लोबल (यूएसए) आईएनसी के बोर्ड में गेल के नामित निदेशक और महाराष्ट्र नेचुरल गैस लिमिटेड (एमएनजीएल) के अध्यक्ष थे। गेल के निदेशक (विपणन) का कार्यभार ग्रहण करने से पूर्व वे भारत की सबसे बड़ी सीएनजी वितरण कंपनी इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (आईजीएल) के प्रबंध निदेशक भी थे ।
निदेशक (व्यापार विकास)
श्री राजीव कुमार सिंघल बिजनेस और फाइनेंस-आईसीएफएआई में डिप्लोमा के साथ आईआईटी बीएचयू वाराणसी से इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्यूनिकेशन इंजीनियर हैं । उन्होंने वर्ष 1989 में सहायक कार्यपालक अभियंता के रूप में गेल में कार्यभार ग्रहण किया और विभिन्न कार्यक्षेत्रों में गेल में 3 दशकों से अधिक की सेवाएं दी हैं । उन्हें प्राकृतिक गैस प्रतिष्ठानों के प्रचालन एवं अनुरक्षण, स्काडा/टेलीकॉम, एलएनजी सोर्सिंग, व्यापार, शिपिंग, विपणन और व्यापार विकास संबंधी गतिविधियों का वृहत अनुभव है, जिसमें विलय एवं अधिग्रहण, विविधीकरण, नवीकरणीय/ हरित हाइड्रोजन आदि शामिल हैं। उनकी कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियों में दीर्घकालिक अनुबंध के तहत 6 उर्वरक संयंत्रों के लिए यूएस एलएनजी का विपणन, कतर और रूस से एलएनजी सोर्सिंग अनुबंधों पर रिनेगोसिएशन, एनसीएलटी के माध्यम से जेबीएफ पेट्रोकेमिकल लिमिटेड का अधिग्रहण, भारत की पहली लघु स्तर की एलएनजी परियोजना की स्थापना और जैपोनिका, एलएनजी वेज़ल कंपनी में 26% हिस्सेदारी के अधिग्रहण का नेतृत्व उल्लेखनीय है।
सरकार द्वारा नामित निदेशक
श्री आशीष जोशी उत्तराखंड कैडर से वर्ष 2006 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। श्री आशीष जोशी पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में तैनाती से पूर्व उत्तराखंड सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव (अतिरिक्त प्रभार) के रूप में कार्यरत थे। उनके पास जिला मजिस्ट्रेट का पद संभालने और उत्तराखंड सरकार में आवासन, गृह, कृषि, वित्त, भूमि राजस्व, योजना, ऊर्जा, पर्यटन और ग्रामीण विकास जैसे विभिन्न विभागों में वरिष्ठ पद पर कार्य करने का समृद्ध अनुभव है।
सरकार द्वारा नामित निदेशक
श्री कुशाग्र मित्तल ने एमएनएनआईटी, इलाहाबाद से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक की उपाधि प्राप्त की है। इसके पश्चात उन्होंने आईआईएम, बैंगलोर से पब्लिक पॉलिसी में स्नात्तकोत्तर की शिक्षा प्राप्त की, जहाँ उन्हें सर्वोत्तम समग्र निष्पादन हेतु डायरेक्टर्स गोल्ड मेडल अवार्ड से सम्मानित किया गया।
श्री कुशाग्र मित्तल पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में निदेशक के रूप में कार्यरत हैं। वह वर्ष 2010 के सिविल सेवा बैच के एक आईआरटीएस अधिकारी हैं। वह मंत्रालय के विपणन प्रभाग और विदेशी मूल्य निर्धारण नीति, एलपीजी वर्टिकल से संबंधित मामलों का निर्वहन करते हैं। उन्होंने पश्चिमी रेलवे के विभिन्न मंडलों में सहायक प्रचालन प्रबंधक, मंडल प्रचालन प्रबंधक, क्षेत्रीय रेलवे प्रबंधक और वरिष्ठ मंडल वाणिज्यिक प्रबंधक के रूप में कार्य किया है, जहां उन्होंने सामान्य प्रशासन के अलावा ट्रेन संचालन और व्यवसाय विकास का कार्य भी संपन्न किया है। सिविल सेवा में शामिल होने से पूर्व, उन्होंने बीएचईएल में कार्य किया है, जो एक महारत्न सीपीएसई थर्मल पावर प्लांट डिजाइन है। उनकी व्यावसायिक प्रक्रियाओं और वित्तीय प्रबंधन में गहरी रुचि है और वे व्यवहार अर्थशास्त्र के प्रति उत्साही हैं।
मुख्य सतर्कता अधिकारी
श्री रजनेश सिंह, भारतीय रेलवे यांत्रिक इंजीनियर्स सेवा (आईआरएसएमई) के 2003 बैच के एक कुशल अधिकारी हैं, जिनके पास पेट्रोलियम, रेलवे और ऑटोमोटिव उद्योग के तीन प्रमुख क्षेत्रों में नीति-निर्माण, शासन, प्रापण, रणनीतिक गठबंधन और औद्योगिक विकास में 25 वर्ष का वृहद अनुभव है ।
मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआईटी), प्रयागराज (1999) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक के पश्चात, श्री सिंह ने आईएसबी मोहाली/हैदराबाद (2023-24) से एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम इन पब्लिक पॉलिसी (एएमपीपीपी) के माध्यम से अपनी विशेषज्ञता को और सुदृढ़ किया । दिसंबर 2024 में एसएई इंटरनेशनल द्वारा प्रकाशित “घरेलू रूप से उत्पादित बायोएथेनॉल भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता और सड़क परिवहन क्षेत्र के डी-कार्बोनाइजेशन की खोज में योगदान” पत्रिका में उनका एक शोध पत्र प्रकाशित किया गया है ।
उनके वैश्विक अनुभव में जापान में हाई-स्पीड रेल प्रशिक्षण, हनोवर में 14वें आईएए-इंडिया डे में भारत का प्रतिनिधित्व, डार्मस्टाट, जर्मनी में फ्रॉनहोफर इंस्टीट्यूट का दौरा और मैक्सिको में ऑटोमोटिव उद्योग अध्ययन दौरा शामिल है ।
16 वर्ष से अधिक के फील्ड यूनिट अनुभव के साथ, श्री सिंह ने दक्षिण पूर्व रेलवे के प्रमुख डिवीजनों (चक्रधरपुर , रांची और खड़गपुर) में कार्य किया है, जहाँ उन्होंने ट्रेन संचालन, सुरक्षा, आपदा प्रबंधन, रोलिंग स्टॉक रखरखाव और औद्योगिक संबंधों में विशेषज्ञता प्राप्त की । बनारस लोकोमोटिव वर्क्स (बीएलडब्ल्यू), वाराणसी में उन्होंने चार वर्ष तक लोकोमोटिव डिज़ाइन, विक्रेता विकास, प्रापण और रू. 4,000 से 5,000 करोड़ प्रति वर्ष की आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में उत्कृष्टता प्राप्त की ।
रेलवे बोर्ड, रेल मंत्रालय में निदेशक (सीएंडआईएस) के रूप में, उन्होंने ई-ऑफिस कार्यान्वयन पर टास्क फोर्स की अध्यक्षता की, जिससे ई-गवर्नेंस के माध्यम से संगठनात्मक कार्य संस्कृति में परिवर्तनकारी बदलाव आया । उन्होंने परिचालन दक्षता और साइबर सुरक्षा ढांचे को बढ़ाकर सूचना सुरक्षा, कम्प्यूटरीकरण और आईसीटी सिस्टम के लिए नीति निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।
श्री सिंह ने चार वर्ष तक भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) में निदेशक (ऑटो) के रूप में कार्य किया, जहाँ उन्होंने भारत की ऑटोमोटिव नीतियों, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सतत विकास पहलों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । उन्होंने दो प्रमुख उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं - पीएलआई ऑटो और पीएलआई एसीसी योजनाओं को तैयार करने और लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अन्य प्रमुख उद्योग-परिवर्तन परियोजनाओं के अलावा भुगतान सुरक्षा तंत्र (पीएसएम) के माध्यम से राष्ट्रीय ई-बस कार्यक्रम (एनईबीपी) में योगदान दिया ।
श्री सिंह ने चार वर्ष तक एमएचआई के अंतर्गत स्वायत्त निकाय, राष्ट्रीय ऑटोमोटिव बोर्ड (एनएबी) के निदेशक (वित्त, प्रशासन और विधि) के उत्तरदायित्व का निर्वहन किया तथा इसके रणनीतिक विकास में योगदान दिया । वे एनएबी के सदस्य सचिव, एआरएआई, पुणे तथा ऑटोमोटिव स्किल डेवलपमेंट काउंसिल (एएसडीसी) के गवर्निंग काउंसिल सदस्य रहे हैं ।
निदेशक (वित्त)
श्री राकेश कुमार जैन पेशे से एक कॉस्ट एंड मैनेजमेंट एकाउन्टेंट हैं तथा श्री जैन ने वर्ष 1992 में गेल में एक प्रबंधन प्रशिक्षु के रूप में कार्यभार ग्रहण किया और वे कंपनी की विकास यात्रा का अभिन्न हिस्सा रहे हैं।
निदेशक (वित्त) के रूप में अपनी नियुक्ति से पूर्व श्री जैन गेल में कार्यकारी निदेशक (वित्त एवं लेखा) के पद पर कार्यरत थे। इसके अतिरिक्त श्री जैन इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड, गेल गैस लिमिटेड, गेल ग्लोबल (यूएसए) इंक. तथा गेल ग्लोबल (यूएसए) एलएनजी एलएलसी में निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। इससे पूर्व वे रत्नागिरी गैस एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड (आरजीपीपीएल) के निदेशक मंडल में शामिल थे। कार्यकारी निदेशक (वित्त एवं लेखा) के रूप में उन्होंने घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से बड़े पैमाने पर धन जुटाने में निगमित वित्त और ट्रेजरी अनुभाग का नेतृत्व किया तथा बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में निवेश के निर्णय लिए। वे निवेशक संबंधों और विश्लेषक समूह के साथ परस्पर विचार-विमर्श में भी सक्रिय रूप से शामिल रहे।
श्री जैन ने विदेशी मुद्रा जोखिम प्रबंधन, पूंजी बजट, कॉर्पोरेट बजट, कॉर्पोरेट लेखा, दीर्घकालिक अंतर्राष्ट्रीय एलएनजी और गैस करारों को अंतिम रूप देने, मूल्य निर्धारण, द्रवीकरण और पुनर्गैसीकरण टर्मिनल सेवा करारों, विलय और अधिग्रहण, कराधान, विनियामक पहलू आदि सहित कॉर्पोरेट वित्त और ट्रेजरी के क्षेत्रों में कार्य किया है।
गेल में दीर्घकालीन सेवा के अलावा वे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस विनियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) में संयुक्त निदेशक (वाणिज्यिक और वित्त) के रूप में प्रतिनियुक्ति पर रहे। पीएनजीआरबी में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने प्रशुल्क विनियमों की समीक्षा, एकीकृत प्रशुल्क की अवधारणा, सीजीडी की 9वीं और 10वीं बोली चक्र के प्राधिकरण तथा वित्त कार्य आदि सक्रिय रूप से संपन्न किए। उन्होंने गेल का सबसे बड़ा पेट्रोकेमिकल संयंत्र पाता सहित गेल के लगभग सभी व्यावसायिक कार्यक्षेत्रों में भी कार्य किया है।
कंपनी सचिव और अनुपालन अधिकारी
श्री महेश कुमार अग्रवाल सेंट जेवियर्स कॉलेज, कोलकाता से वाणिज्य में स्नातक हैं। वह योग्य कंपनी सचिव (1999), चार्टर्ड एकाउंटेंट (1999) और लागत तथा प्रबंधन लेखाकार (2007) भी हैं। उनका शैक्षिक क्षेत्र में एक उत्कृष्ट ट्रैक रिकॉर्ड है और उन्होंने सीए (इंटरमीडिएट) में अखिल भारतीय 42वीं रैंक, सीए (फाइनल) में अखिल भारतीय 47वीं रैंक और सीएमए (इंटरमीडिएट) परीक्षाओं में अखिल भारतीय द्वितीय रैंक हासिल की है। उन्हें उत्तरी क्षेत्र में "रणनीतिक निर्णय लेने" में उच्चतम अंक हासिल करने के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एंड मैनेजमेंट एकाउंटेंट्स द्वारा सम्मानित भी किया गया था।
श्री अग्रवाल वर्ष 2000 में प्रबंधन प्रशिक्षु के रूप में गेल में कार्यभार ग्रहण किए और पाता स्थित गेल के सबसे बड़े पेट्रोकेमिकल संयंत्र में अपना कॅरियर शुरू किया । उनके पास विविध कार्य अनुभव है जिसमें अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, गेल के वरिष्ठ कार्यकारी सहायक और ह्यूस्टन, टेक्सास, यूएसए में गेल की पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी कंपनी - गेल ग्लोबल (यूएसए) इंक (जीजीयूआई) के अध्यक्ष और सचिव सह कोषाध्यक्ष के रूप में कार्य करना शामिल है।
कंपनी सचिवालय विभाग में कार्यभार करने से पहले महाप्रबंधक (वित्त एवं लेखा) के रूप में वे प्रबंधन लेखांकन, लागत और निवेशक संबंध के लिए उत्तरदायी थे।